33% हरित आवरण में बदलाव क्यों? सांसद बंसल ने सदन में मांगा स्पष्टीकरण
देहरादून/नई दिल्ली। भाजपा राष्ट्रीय सह कोषाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद डॉ. नरेश बंसल ने संसद में औद्योगिक क्षेत्रों में हरित पट्टी (ग्रीन बेल्ट) मानकों में किए गए संशोधन को लेकर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि नए संशोधित मानकों का विवरण क्या है, पुराने 33 प्रतिशत हरित आवरण को क्यों बदला गया, और क्या सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि ये संशोधन सतत औद्योगिक विकास को बढ़ावा दें।
सांसद ने पूछे चार प्रमुख प्रश्न
सदन में डॉ. बंसल ने निम्न बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा—
औद्योगिक क्षेत्रों के लिए संशोधित हरित पट्टी/वृक्षारोपण मानक क्या हैं?
पूर्व में निर्धारित 33% हरित आवरण में संशोधन का कारण क्या है?
क्या सरकार संशोधित मानकों से सतत औद्योगिक विकास सुनिश्चित कर रही है?
यदि हाँ, तो इसके लिए उठाए गए कदमों का विवरण क्या है?
मंत्रालय ने दिया विस्तृत जवाब
प्रश्न के उत्तर में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि मंत्रालय ने 29 अक्टूबर 2025 को जारी कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से हरित पट्टी मानकों को संशोधित किया है। ये मानक 27 अक्टूबर 2020 के पुराने प्रावधानों का स्थान लेते हैं और अब सभी औद्योगिक क्षेत्रों, पार्कों और व्यक्तिगत उद्योगों पर अनिवार्य रूप से लागू होंगे।
मंत्री के अनुसार:
औद्योगिक क्षेत्रों में कम से कम 10% क्षेत्रफल को हरित क्षेत्र के रूप में चिन्हित करना अनिवार्य किया गया है।
लाल श्रेणी की इकाइयों को अपने परिसर का 15% और
नारंगी श्रेणी की इकाइयों को 10% हरित पट्टी विकसित करना अनिवार्य होगा।
औद्योगिक क्षेत्रों के बाहर इसी श्रेणी की इकाइयों को क्रमशः 25% और 20% हरित आवरण विकसित करना होगा, जिसे गैर-वायु प्रदूषणकारी होने की स्थिति में 5% तक घटाया जा सकता है।
ग्रीन और व्हाइट कैटेगरी के उद्योगों के लिए ग्रीन बेल्ट बनाना अनिवार्य नहीं है, सिवाय उन ग्रीन उद्योगों के जिनका एयर पॉलुशन स्कोर 25 है—उन्हें 10% हरित क्षेत्र रखना आवश्यक है।
क्यों बदले गए मानक?
मंत्री ने बताया कि:
भूमि उपलब्धता, औद्योगिक परियोजनाओं की आवश्यकताओं और पर्यावरणीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने के लिए यह संशोधन किया गया।
संशोधित मानदंड विशेषज्ञ समिति द्वारा वैज्ञानिक परीक्षण, प्रदूषण की संभाव्यता और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अध्ययन के आधार पर तैयार किए गए हैं।
लक्ष्य यह है कि लाल और नारंगी श्रेणी के प्रदूषण-संभावित उद्योग अधिक हरित पट्टी विकसित करें, ताकि उनके कारण होने वाले प्रदूषण के प्रभाव को कम किया जा सके।